ये फिर बाबूजी लेटने चले ........... फिर वही चिल्लाने की आवाज़ " ये मेरा तकिया किसने छुआ और फिर " हम दोनों बहने सहमी सी खड़ी हो जाती "नहीं बाबूजी हमने नहीं छुई "।
घर की सबसे अच्छी तकिया पर बाबूजी का ही कब्ज़ा था ,हालाँकि वो भी थोड़ी गुदडी-गुदडी हो गयी थी .... पर हम दोनों बहनों की शादी का खर्च सोच कर बाबूजी नयी तकिया लेते नहीं थे।
अब जब बाबूजी को नींद नहीं आती तो सारा दोष बेचारी तकिया को देते। करीने से सहला कर उसके रुई पट्टों को ठीक करते .... फिर लेटते .....फिर करवट बदलते .... फिर चिल्लाते " ज़रूर मेरी तकिया को किसी ने छुआ है"।
उनका चिल्लाना और अम्माँ का रोना " हाय न जाने किस भूतप्रेत का साया हो गया है मरी तकिया के पीछे पड़े रहते है" रोज़ का सिलसिला हो गया है..
अब ऐसे नहीं चलेगा ,किसी झाड़ -फूँक वाले को बुलाना पडेगा। ………………… बिमारी ज्यादा बढ़ गयी तो। …"हे प्रभु दया करना !
पिताजी तकिया के पीछे पड़े रहते थे और माँ भूतप्रेत के।
आज जब
पिताजी काम से लौटे तो उनके चहरे पर मुस्कान थी ।हमने बहुत दिन बाद उन्हें मुस्कुराते हुए देखा था। … फिर भी ऐेतिहात के तौर पर हम अपनी पढ़ाई में लग गए , फिर से कहीं नाराज ना हो जाए। बाबूजी के माँ से बात करने के स्वर हमें सुनाई दे रहे थे। ……………… वो चहक -चहक कर अम्माँ को बता रहे थे "सुनती हो ,आज तुम्हारी पूजा सार्थक हो गयी श्यामलालजी अपने बड़े बेटे के साथ अपनी बड़ी बिटिया की शादी को राजी है। वह दहेज लेने से भी मना क्रर
रहे है।
माँ बार -
बार हाथ जोड़ कर ईश्वर का धन्यवाद देने लगी "हे नाथ जैसे हमें तारा है ,सबको तार देना "।
ग्यारह बज गया , पिताजी सोने चले गए है,हम दोनों बहने पिताजी की तकिये को कोसने की आवाज़ की प्रतीक्षा करने लगे। ................ पर ये क्या आज कोई चिर-परिचित आवाज़ नहीं आई। कमरे में जा कर देखा पिताजी चैन से सो रहे थे। उनके चहरे पर बच्चों सी निश्चिंतता थी।
ग्यारह बज गया , पिताजी सोने चले गए है,हम दोनों बहने पिताजी की तकिये को कोसने की आवाज़ की प्रतीक्षा करने लगे। ................ पर ये क्या आज कोई चिर-परिचित आवाज़ नहीं आई। कमरे में जा कर देखा पिताजी चैन से सो रहे थे। उनके चहरे पर बच्चों सी निश्चिंतता थी।
हम दोनों बहनों को तकिये का रहस्य पता चल गया था।
bhutt sundar khani
जवाब देंहटाएंtakiya to bahana tha !....bahut khoob !!
जवाब देंहटाएंvery nice
जवाब देंहटाएंbahut sundar
जवाब देंहटाएंपिता की चिंताओं को रेखांकित करती सुन्दर कथा।
जवाब देंहटाएंपिता की मनोदशा को रेखांकित करती बहुत ही सूंदर रचना
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