कल तक मैं चालाक था इसलिए दुनिया को बदलना चाहता था , आज मैं बुद्धिमान हूँ इसलिए खुद को बदलना चाहता हूँ - रूमी
इसने ऐसा किया होता उसने वैसा किया होता , तो मेरी जिंदगी कुछ और होती | कहीं आप भी ये कहने वालों में से नहीं हैं | उसने नहीं कहा , उसने नहीं किया और आप खुद करने के स्थान पर उम्मीद पाले बैठे रहे की वो करे या कहे | बेहतर न होता की हम उस समय यह मान लेते की कोई कुछ नहीं करेगा जो भी करना है हमें ही करना है | तो शायद आज हम उस जगह होते जो हम चाहते हैं | वो समय उम्मीद में गवायाँ और अब आरोप देने में |
एक घर में श्रीमती क अपने परिवार के साथ रहती थी | घर के सामने के फ्लैट में नए पड़ोसी रहने को आये | नए पडोसी के घर की स्त्री सुबह - सुबह अपनी बालकनी में कपड़े धो कर सुखा देती | इधर श्रीमती क के घर सुबह का नास्ता करने का समय होता | वो रोज़ उनकी बालकनी पर नज़र दाल कर कहती | इतनी जल्दी क्या है कपडे धोने की | मैंने इतनी गंदे धुले हुए कपडे कभी नहीं देखे | थोडा देर भिगोती फिर धोती , तो चमक जाते | श्रीमान क चुपचाप चाय गटकते हुए उसकी बातें सुनते रहते पर कुछ बोलते नहीं | एक दिन सुबह के समय श्रीमती क बिफर उठी ," आज तो हद हो गयी , आज तो पिछले सारे रिकार्ड टूट गए | आज देखिये कितने गंदे कपडे धुले हैं | क्या आज भी आप कुछ नहीं कहेंगे | इस पर श्रीमान क धीरे से उड़े और रुमाल से अपनी खिड़की का शीशा साफ़ कर दिया | पड़ोसन के कपडे अब लकलक साफ़ दिखने लगे |
हम भी अक्सर श्रीमती क की तरह नहीं करते | दूसरों को बदलने की जद्दो जहद मेंअपनी आखों पर पर्दा डाले रहते हैं | दूसरों की कमियाँ ढूँढने के चक्कर में अपनी कमियाँ दूर करने का प्रयास ही नहीं करते | अगर कोई विद्यार्थी हर समय दूसरे विद्यार्थियों ने कितना समय बर्बाद किया की गड़ना करता रहेगा तो क्या उसके पास स्वयं पढने का समय बचेगा | सारी बुराइयों की जड़ यही है | बस अपने पर " काम करिए " पर दोष देखने के स्थान पर आत्म सुधार की तरफ बढिए | क्या आप स्वयं बदलने के लिये तैयार हैं? इस दुनिया में वास्तविक परिवर्तन तभी आएगा, जब आप बदलने के लिये तैयार हों। लेकिन जब आप कहते हैं, “मैं चाहता हूँ कि सभी दूसरे लोग बदलें” तब केवल संघर्ष होगा। अगर आप बदलने के लिये तैयार हैं, केवल तभी रूपांतरण होगा। यह स्व-रूपांतरण ही व्यक्ति और समाज को सच्ची खुशहाली तक ले जाएगा।
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