जैसा की हमेशा होता है बच्चे जब छोटे होते हैं तो उन्हें दादी - नानी धार्मिक कहानियां सुनाती हैं । ऐसा ही धर्मपाल के साथ भी हुआ । गरीब परिवार में जन्म लिया था .... पिता चौकीदार थे ... माँ एक बुजुर्ग स्त्री की देखबाल करने जाया करती थीं । घर में रह जाते थे दादी और धर्मपाल । दादी धर्मपाल को धर्म की कहानियां सुनाया करती थीं ।
कर्म का फल कैसे मिलता है , कैसे जो लोग इस जन्म में अच्छे
कर्म करते हैं उन्हें अगले जन्म में सब सुख सुविधाएँ मिलती हैं ....
राजयोग
बनता है ... मिटटी में भी हाथ लगाओ तो सोना बन जाती है । धर्मपाल बुद्धिमान थे ...
गणित के हिसाब से धर्म को भी मान लिया ।
इस जन्म का हर कष्ट अगले जनम में सुख सुविधाओं की
गारंटी है ।
धीरे - धीरे धर्मपाल बड़े हुए । पढने में तेज़ थे ।
प्रतियोगी परीक्षा में सफल हुए और देखते देखते
सी पी डब्लू डी में इंजीनियर के पद पर नियुक्त
हो गए । माँ - बाप बहुत खुश थे । लड़का अब उनकी गरीबी मिटा देगा । अच्छी जगह शादी
करेंगे ढेर सारा दहेज़ लेंगे । पर धर्मपाल अड़ गए । दहेज़ नहीं लेंगे ... लड़की
उनके यहाँ दो कपड़ों में आएगी ।
माँ बाप ने बहुत समझाया पर धर्मपाल ना माने । माँ बाप
ने सोंच समझकर एक अमीर घराने की लड़की से उसकी शादी कर दी । सोंचा अभी ना सही धीरे - धीरे
ही सही ससुराल से कुछ तो आता ही रहेगा । लड़की के माँ बाप ने भी
इंजीनियर समझ कर शादी की थी कि भले ही ससुराल खाली हो पर लड़का नोटों से घर भर
देगा । पर हुआ बिलकुल विपरीत । धर्मपाल जी को अपनी पत्नी का मायके से रुमाल
लाना भी नागवार था ।
और विभाग ? विभागीय आमदनी की स्थिति तो ये
थी की ना खुद खाते थे ना खाने की इज़ाज़त देते थे । ऊपर वाले भी नाखुश
... नीचे वाले भी नाखुश । हर चार महीने में तबादला हो
जाता । फिर भी जब उनपर कोई असर नहीं पड़ा तो उन्हें एक केस बनाकर झूठे मामले में
फंसा दिया गया । धर्मपाल जी निलंबित हो गए । घर में खाने के लाले पड़ गए । पत्नी
अभावों से घबड़ाकर मायके चली गयी । पर धर्मपाल बहुत खुश थे कि अगला जन्म उन्हें
बहुत अच्छा मिलने वाला है ।
जैसे डाइटिंग करते समय लोग अपनी
एक - एक कैलोरी गिनते हैं वैसे ही धर्मपाल जी भी एक -एक पुन्य गिनते और
हिसाब लगाते कि अगले जन्म में वो क्या बनेंगे । काम तो कुछ था नहीं ... बच्चों
को ट्यूशन पढ़ाते । बाकी समय अपने पुण्य गिनते। .... दहेज़ नहीं लिया, शहर के सबसे अमीर आदमी बनेगे क .P.WD
में
रहे और
रिश्वत नहीं ली। .... जरूर टाटा बिरला के यहाँ पैदा होंगे। अपने हर पुण्य के साथ अपने को एक पायदान ऊपर
पहुंचा कर अगले जन्म की कल्पना में खुश रहते ।धीरे -धीरे वो देश के प्रधान मंत्री
तक पहुँच गए। अब उन्होंने और पुण्य कमाने की और गणित बिठाने की कोशिश शुरू
कर दी ।अब उन्हें पक्का यकीन हो गया की अगले जनम में अमेरिका के
राष्टपति की कुर्सी उन्हें ही मिलेगी। वो बहुत खुश रहने लगे लोग उन्हें पगला कहते
थे।
एक दिन धर्मपाल की मृत्यु हो गयी । उनकी आत्मा ऊपर की दिशा में चल
दी । धर्मपाल बहुत खुश थे ... अगला जन्म सोंच - सोंच कर रोमांचित हो रहे थे ।
सामने प्रभु दिखाई दिए ।
प्रभु बोले ... धर्मपाल तुमने बहुत पुन्य किये हैं । धर्मपाल बीच में ही बात काटकर
बोले हां प्रभु मैं जानता हूँ आप मुझे क्या देने वाले हैं ... मन ही मन प्रधान
मंत्री की कुर्सी , टाटा -
बिडला के यहाँ जन्म या अमेरिका के राष्ट्रपति की कुर्सी आदि उन्हें दिखाई दे रहा था ।
प्रभु मुस्कुराये ... वत्स मैं
तुम्हे मोक्ष दूंगा ... तुम अब दुबारा जन्म नहीं लोगे । धर्मपाल तेज़ प्रकाश पुंज में
समाहित होने लगे .... लेकिन उनकी निगाहें अभी भी कुर्सी पर टिकी थी ... गणना चल
रही थी ………
हिसाब तो पूरा बराबर था पर ये क्या उल्टा हो गया , कौन से पुण्य ज्यादा हो गए ?
वंदना बाजपेयी
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