मंगलवार, 10 जनवरी 2017

रिश्तों को दे समय






  मिटटी न गारा, न सोना  सजाना 
जहाँ प्यार देखो वहीं घर बनाना
कि  दिल कि इमारत बनती है दिल से
दिलासों को छू के उमीदों से मिल के



                                      एक खूबसूरत गीत कि ये पंक्तियाँ आज के दौर में इंसान और रिश्तीं के बारे में  बहुत कुछ सोचने को विवश कर देती हैं |आज जब कि भौतिकतावाद हावी हो चुका है |ज्यादासे ज्यादा नाम ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने की होड़ में आदमी दिन -रात मशीन की तरह काम कर रहा है |बच्चों को महंगे से महंगे स्कूल में दाखिला करा दिया ,ब्रांडेड कपडे पहन लिए ,महीने में चार बार मोबाइल या गाडी बदल ली |
फिर भी अकेलापन महसूस होता है |बहुत कुछ पा के भी लगता है जैसे खाली हाथ  रह गए| जो जितना पैसे वाला वो उतना ही अकेलापन महसूस करता है |कारण बस एक ही है घर तो बनाया ही नहीं महल बनाने में लगे रहे |यह जरूरी है कि महंगाई के दौर में पैसा कमाना जरूरी है पर कितना ?ये प्राथमिकता तय करनी ही पड़ेगी |वास्तव में  ये पूरा जीवन प्राथमिकताओ के आधार पर चलता है |आप जिस चीज को प्राथमिकता देते हैं वही बढती है खिलती है |अगर आप धन ,यश ,ओहदे को प्राथमिकता देंगे तो वो बढेगा |पर रिश्ते सूख जाएँगे |रिश्तों को खिले रखने के लिए जरूरी है सिर्फ प्यार देना .... और समय देना | पर एक विशेष बात याद रखनी पड़ेगी आप अपने बच्चे से माता पिता  से भाई -बहन से कितना भी प्यार करते हों अगर आप उनको समय नहीं देते तो ये वृक्ष सूख जायेंगे | कभी इस बात पर गौर करिए कि जब भी किसी मनोरोग विशेषग्य के पास कोई मरीज जाता है तो पहला प्रश्न ही यहीं होता है "आप का बचपन कैसा बीता |" बीमारियों से त्रस्त  ज्यादातर लोगों में यह बात ऊभर कर आई है कि उन्हें  बचपन में पर्याप्त प्यार नहीं मिला |ये बात कहीं न कहीं एक ग्रंथि बन गयी |जो बड़ा होने पर भी एक बेचैनी एक छटपटाहट के रूप में शेष रह गयी । महंगे कैनवास शूज चाहे हजारों किलोमीटर कि यात्रा कर ले पर पिता के साथ पिलो फाइटिंग में बिताए गए दस मिनट कि दूरी कभी नहीं माप पाते । महंगे टेडी बियर माँ के स्नेहिल स्पर्श को कभी छू नहीं पाते । एक पत्नी कि सुन्दरता की तारीफ़ चाहे सारा  संसार कर ले पर अगर पति के पास देखने की भी फुर्सत नहीं है तो सब कुछ व्यर्थ ,सब कुछ बेमानी सा लगता है हर पति अपनी छोटी से छोटी उपलब्धि सबसे पहले अपनी पत्नी को बताना चाहता है.पर अगर पत्नी ही उस बात पर ध्यानं न दे तो लगता है जैसे सब कुछ पा कर भी किसी ने सब कुछ लूट लिया हो । अगर आप को अपने जीवन के पहले दोस्त अपने भाई या बहन से बात करने के लिए अपॉइंटमेंट लेना पड़े तो इंतज़ार कि हर घडी के साथ रिश्तों में खोखलापन नजर आने लगता है महंगे गिफ्ट मुँह चिढाते है हर गिफ्ट के साथ स्नेह के वृक्ष पर थोडा सा तेज़ाब गिर जाता है ॥……… और अन्दर ही अन्दर कुछ सूख जाता हैं ॥ कभी सोचा है इन अमीर गरीबों का दर्द। .............
क्रमश : 
वंदना बाजपेयी 

2 टिप्‍पणियां: