बुधवार, 22 मार्च 2017

मृत्यु ,कभी एक की नहीं होती





जीवन,  बार - बार मरने को तैयार रहना है - ग्रोलमैन

                                       
                        मृत्यु ... एक ऐसा दर्दनाक पल ,जब किसी व्यक्ति के लिए  जब घडी के कांटे रुक जाते हैं , कलैंडर  की तारीख वही पर रुक जाती है , उसकी  उम्र के साल आगे बढ़ना रुक जाता है | जीवन के इस पार से उस पार गए पथिक पता नहीं वहाँ  से हमें देख पाते हैं की नहीं | अगर देख पाते तो जानते की ये झूठ है की जाने वाले अकेले जाते हैं |"  इस पार छूटे हुए परिवार के सदस्यों , मित्रों हितैषियों का जीवन भी  उस मुकाम पर रुक जाता है |
मानसिक रूप से उस पार विचरण करने वाले  परिजनों के लिए न जाने कितने दिनों तक कलैंडर की तारीखे बेमानी हो जाती हैं , घडी की सुइयां बेमानी हो जाती हैं , सोना जागना बेमानी हो जाता है | क्योंकि वो भी थोडा सा मर चुके होते हैं | अंदर ही अंदर मन के किसी कोने में , जहाँ ये अहसास गहरा होता है की जीवन अब कभी भी पहले जैसा नहीं होगा | यहाँ तक की वो खुद भी पहले जैसे नहीं रहेंगे | जहाँ उन्हें फिर से चलना सीखना होगा ,  संभलना सीखना होगा , यहाँ तक की जीना सीखना होगा |
                                            

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