आज का दिन भारत के लिए बहुत अच्छा दिन है | एक ऐसा दिन जहाँ हम स्वभिभिमान व् गर्व के साथ सर उठा चल सकते हैं |आये दिन आतंकी हमले हमारे स्वाभिमान को आहत कर रहे थे | उडी हमले के बाद आम भारतीय मानस में निराशा का माहौल था | लोगों की निगाह अपने प्रधानमंत्री मोदी की तरफ थी | पर मोदी की चुप्पी हमें तोड़ रही थी | कहीं छुटपुट बयां आये भी तो लोगों को बस जुबानी बातें लगी | ऐसा लगा की जैसे अभी तक होता आया है , फिर वही होगा | आतंकी हमले होंगे , मासूम लोग शिकार होंगे | और तो और हमारी सेना के जवान बार बार निशाना बनाए जाते रहेंगे | और हम केवल उन शहीदों के लिए आंसू बहा कर शब्दों के फूल चढाते रहेंगे |परन्तु नहीं ! इस बार ये चुप्पी , चुप्पी नहीं तूफ़ान से पहले की खामोशी थी | आज loc पार कर पाक में घुस कर के भारतीय सेना का आतंकवादी शिविरों को नेस्तनाबूत कर देना इस बात का साफ़ संकेत है की अब आतंवाद के खिलाफ लड़ाई जुबानी नहीं जमीनी है
|
यह लड़ाई एक बहुत ही कुटनीतिक तरीके से लड़ी गयी है | जहाँ एक ओर भारत ने एक मुहीम चला कर पूरे विश्व में इस बात को सिद्ध किया की पाकिस्तान आतंकवादियों का पनाहगार बन गया है | सभी मंचों पर पाकिस्तान का कश्मीर राग भी उसके आतंकी चेहरे को ढक नहीं पाया |उस बेनकाब चेहरे में शरीफ की थोथी बयानबाजी में पूरे विश्व समुदाय को कोई शराफत नज़र नहीं आई | दुनिया से अलग थलग पड़े पाकिस्तान की रही बची कसर भारत ने सरक सम्मेलन में हिस्सा न लेकर तोड़ दी | आतंकवाद के खिलाफ भारत के पक्ष में चार देशों के और आ जाने से सम्मेलन ही रद्द हो गया | उस सदमें से अभी पकिस्तान उबर ही नहीं होगा की पाक की जमीन पर घुसकर भारतीय सैनिकों ने आतंकी शिविरों को नष्ट कर अपनी शौर्य गाथा लिख दी |
हालांकि पकिस्तान का सरकारी बयांन यही है की सीमा पार से भारतीय सेना की फायरिंग से दो पाकिस्तानी सैनिक मारे गए हैं , जो सीमा पर होने वाली आम बात है | अब पाकिस्तान की समस्या ये है की वो यह कह ही नहीं सकता की उसकी जमीन पर आतंकी शिविर चल रहे थे | क्योंकि अगर वो ऐसा कहता है तो पूरा विश्व उसके प्रतिकूल हो जाएगा | आतंकवाद कके खिलाफ लड़ाई में आज अमेरिका की अगुवाई में सारा विश्व एक है | खुद अमेरिका ने एक ऐसे ही सर्जिकल ऑपरेशन में पकिस्तान के ऐटमाबाद में घुस कर ओसामा बिन लादेन को मारा था | लिहाज़ा स्वयम आतंकवाद से त्रस्त अमेरिका तो इस मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ देने से रहा |
विश्व समुदाय से अलग -थलग पड़ता पाकिस्तान भारत के साथ युद्ध होने पर भी होने वाली प्रतिक्रया को भी वो नज़र अंदाज़ नहीं कर सकता | अब पकिस्तान के पास कोरी बयानबाजी की गीदड़ भभकियों के आलावा कोई रास्ता नहीं बचा है | और गीदड़ भभकियों से कागजी शेर डरते हैं असली नहीं |हमारे भारतीय शेरो ने यह दिखा दिया है की ,” आतंकवाद के खिलाफ युद्ध अब जुबानी नहीं जमीनी है |
वंदना बाजपेयी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें