मंगलवार, 10 जनवरी 2017

तौबा इस संसार में ...... भांति- भांति के प्रेम



वसन्त ऋतु तो अपनी दस्तक दे चुकी है , वातावरण खुशनुमा है ,पीली सरसों से खेत भर गए है, कोयले कूक रहीं हैं पूरा वातावरण सुगन्धित और मादक हो गया है ....उस पर १४ फरवरी भी आने वाली है .... जोश खरोश पूरे जोर –शोर पर है ,सभी बच्चे बच्चियाँ ,नव युवक –युवतियाँ नव प्रौढ़ –प्रौढ़ाये ,बाज़ार ,टी .वी चैनल ,पत्र –पत्रिकाएँ आदि –आदि प्रेम प्रेम चिल्लाने में मगन हैं | हमारे मन में यह जानने  की तीव्र इक्षा हो रही है कि ये प्रेम आखिर कितने प्रकार होते  है ,दरसल जब हम १७ ,१८ के हुए तभी चोटी पकड़ कर मंडप में बिठा दिए गए .... बाई गॉड की कसम जब तक समझते कि प्रेम क्या है तब तक नन्हे बबलू के पोतड़े बदलने के दिन आ गए फिर तो बेलन और प्रेम साथ –साथ चलता रहा ....( समझदार को ईशारा काफी है ) हां तो मुद्दे की बात यह है  रोमांटिक  फिल्मे देख –देख कर और प्रेम –प्रेम सुन कर हमारे कान पक गए हैं और हमने सोचा की मरने से पहले हम भी जान ले की ये प्रेम आखिर कितने प्रकार का  होता है इसीलिए अपना आधुनिक इकतारा (  मोबाइल )उठा कर निकल पड़े सड़क पर (आखिर साठ  की उम्र में सठियाना तो बनता ही है) |सड़कों पर हमें तरह –तरह के प्रेम देखने को मिले ,प्रेम के यह अनेकों रंग हमें मोबाईल की बदलती रिंग टोन  की तरह कंफ्यूज करने वाले लगे .... सब वैसे का वैसा आप के सामने परोस रही हूँ ..................

१ )छुपाना भी नहीं आता ,जताना भी नहीं आता  :-
                                       ये थोडा शर्मीले किस्म का प्रेम होता है इसमें प्रेमी ,प्रेमिका प्यार तो करते पर इजहार करने में कतराते हैं पहले आप ,पहले आप की लखनवी गाडी में सवारी करने की कोशिश में अक्सर वो प्लेटफार्म पर ही रह जाते हैं |ये तो बिहारी के नायक –नायिका से भी ज्यादा कच्चे दिल के होते हैं “जो कम से कम भरे भवन में नैनों से तो बात कर लेते थे “खैर आपको ज्यादा निराश होने की जरूरत नहीं है ....आजकल ऐसा प्रेम ढूढना दुलभ है आप चाहे तो www.google.प्रेम आर्काइव पर जा कर इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |
२ )हमारे सिवा तुम्हारे और कितने दीवाने हैं :-
                      ये कुछ ज्यादा समझदार  वाले प्रेमी /प्रेमिका होते हैं ...  इनको इस बात की इतनी खबर  रहती है कि भगवन न करे कोई दिन ऐसा आजाये की इन्हें बिना पार्टनर के रहना पड़े  इसलिए ये सेफ गेम खलने में विश्वास करते हैं .... इनकी इन्वोल्वमेंट  इक साथ कई के साथ रहती है
तू नहीं तो तू सही  की तर्ज पर |इसके लिए ये काफी मेहनत  भी करते हैं इनके खर्चे भी बढ़ जाते हैं .... पर अपनी घबराहट दूर करने के लिए ये हर जोखिम उठाने को तैयार रहते हैं |पर बहुधा इनके मोबाईल व् खर्चों के बिल देखकर इनके माता –पिता का दिल साथ देना छोड़ देता  है |सुलभ दैनिक द्वारा कराये गए सर्वे के अनुसार युवा बच्चों के माता –पिता को हार्ट अटैक आने का कारण अक्सर यही पाया गया है |
३ )तुम्हारा चाहने वाला खुदा की दुनियाँ में मेरे सिवा भी कोई और हो खुदा न करे :-
                                ये थोडा पजेसिव टाइप के होते हैं “अग्निसाक्षी के नाना पाटेकर की तरह “इन्हें बिलकुल भी बर्दास्त  नहीं होता कि उनके साथी को कोई दूसरा पसंद करे ... इन्हें दोस्त तो दोस्त माता –पिता भाई –बहन भी अखरते हैं किसी ने भी अगर साथी की जरा सी भी तारीफ कर दी तो हो गए आग –बबूला और शुरू हो गयी ढिशुम –ढिशुम |ये अपने साथी को डिब्बे में बंद करने में यकीन करते हैं ,सुविधानुसार निकाला ,प्रेम –व्रेम किया वापस फिर डब्बे में बंद |अफ़सोस यह है कि इतना प्यार करने के बाद भी इन प्रेम कहानियों का अंत ,हत्या ,आत्महत्या या अलगाव से ही होता है
४ )मिलो न तुम तो हम घबराए :-
                    ये थोडा शक्की किस्म का प्रेम होता है |इसमें बार –बार मोबाइल से फोन कर इनफार्मेशन ली जाती है अब कहाँ हो ,अब कहाँ हो ?मिलने पर कपडे चेक किये जाते हैं कपड़ों पर पाए जाने वाले बाल ,बालों की लम्बाई उनका द्रव्यमान ,घनत्व आदि शोध के विषय होते हैं .... तकरार ,मनुहार और  प्यार इसका मुख्य हिस्सा होते हैं ,साथ ही साथ इस प्रकार प्रेम करने वाले इंटेलिजेंट  भी होते हैं कभी –कभी अपने साथी पर नज़र रखने के लिए अपनी सहेलियों ,दोस्तों आदि का सहारा भी लेता हैं आजकल तमाम जासूसी संस्थाएं यह सेवा उपलब्ध  करा रही हैं .........जैसे महानगर साथी जासूसी निगम  आदि कुछ मोबाइल कम्पनियां साल में दो बार जासूसी करवाने पर तीसरी सेवा मुफ्त देती हैं


                         
५ )जो मैं कहूंगा करेगी .... राईट :-
                          ये थोडा डिक्टेटर टाइप के होते हैं |इन्हें लगता है की ये सही हैं और अगला गलत ,इनसे कितनी भी बहस कर लो अंत में अपनी ही बात मनवा लेते हैं ,उस पर तुर्रा यह कि कहते हैं कि प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ है |प्रेमी –प्रेमिका का रिश्ता बिलकुल ग्रेगर जॉन  मेंडल (पहला नियम ) की पीज (मटर ) की तरह डोमिनेंट व् रेसिसिव की तरह चलता है और खुदा न खास्ता इनकी शादी करवा दी जाए तो इनके बच्चे भी ३ :१ के अनुपात में डोमिनेंट व् दब्बू पाए जाते हैं |
६ )खुल्लम खुल्ला प्यार करेंगे हम दोनों :
                           यह नए ज़माने का प्यार आजकल बहुतायत से पाया जाता है |महानगरों में पार्कों ,सडको के किनारे ,माल्स ,रेस्त्रों आदि में आप यह आम नज़ारा देख सकते है |आप की वहां से गुजरते समय भले शर्म  से आँखें झुक जाए पर यह निर्भीक  युगल अपने सार्वजानिक  प्रेम प्रदर्शन में व्यस्त ही रहते हैं | वैधानिक चेतावनी :ऐसे प्रेमी युगलों को देख कर पुराने ज़माने के बुजुर्गों की सचेत करने वाली खांसी की तरह खासने का प्रयास न करे ..... ईश्वर गवाह है खांसते –खांसते टेटुआ बाहर निकल आएगा पर इनकी कान पर जूं भी न रेंगेगा |



७ )ना उम्र की सीमा हो ना जन्म का हो बंधन :-
                              इसे एक नया नाम मिला है ४० +प्रेम जिसके बारे में आजकल तमाम कवितायेँ यहाँ तक विवादस्पद सम्पादकीय भी लिखे जा रहे हैं | , होता यह है कि जब बाल सफ़ेद होने लगते हैं ,दांत और आंत के हालत थोड़े बिगड़ने लगते हैं तो अपनी उम्र को धत्ता बताने  की कोशिश में “दिल तो बच्चा है जी की तर्ज पर कई नव प्रौढ़ –प्रौढाए इस दिशा में बढ़ने  लगते हैं |ना उम्र की सीमा हो न जन्म का हो बधन कह कर प्रेम की शुरुआत करने वाले इन जोड़ों के प्रेम की उम्र बहुत छोटी होती है .... फेस बुक से शुरू हुआ यह प्रेम  अक्सर ट्विटर तक आते –आते दम तोड़ देता है और दोनों अपने –अपने बच्चों की शादी की तैयारियों  में मगन हो जाते हो ...जो इक्षुक हो वो फर्जी आई डी से फेस बुक की शरण में जा सकते हैं |
                          खैर ! यह तो थी प्रेम की विभिन्न किस्मे जिनके बारे में  मैंने सुबह से शाम तक घूम –घूम कर काफी जानकारी ईकट्ठी की है |अब तो मेरे इकतारे की बैटरी भी जवाब दे गयी है .... ऊपर से ये ६० की उम्र जिसमें दिमाग तो सठियाने ही लगता है साथ ही साथ परिया भी परपराने लगती हैं....अब घर चलती हूँ पर मेरी शोध जारी है ,आगे भी बताती रहूंगी .....

वंदना बाजपेयी 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें