अभी कुछ दिन पहले एक पार्टी
में नीलेश और सोमा मिले | दोनों को एक
दूसरे से दूर दूर कटे –कटे बैठे देख कर बहुत आश्चर्य हुआ | शादी को बारह साल हो
गए थे | हालांकि विवाह अरेंजड था | पर
दोनों बहुत खुश थे | इस दौरान पैदा हुए दो प्यारे बच्चों ने उनके
रिश्तों कि गाँठ और मजबूत कर दी थी | हर पार्टी में हाथ में हाथ डाले साथ नज़र आते
थे | पर आज ये दूरी क्यों ? मेरी सहेली रिया ने ही मेरी शंका का समाधान किया | दरसल नीलेश समय के साथ व्यस्त और व्यस्त
होते गए और सोमा बच्चों के बड़े हो जाने के बाद खालीपन अनुभव करने लगी | झगडे और
दूरियाँ बढ़ने लगीं |
रिया ने ही आगे बताया कि
इनकी तो छोड़ो , मीतू और सौरभ ने तो प्रेम विवाह किया था | कहाँ तब तो एक दूसरे के बिना चैन नहीं था | फोन पर घंटों
बातें फिर व्हाट्स एप्प पर चैटिंग, पर मन
था की भरता ही नहीं था | पर अब शादी के ६ महीने बाद ही दोनों एक दूसरे की शक्ल ही
नहीं देखना चाहते | नौबत तलाक तक है |यहाँ मीतू
की सैलरी का सौरभ से ज्यादा होना समस्या का विषय बन गया | मेरे मन में अभिमान फिल्म की
यादें ताज़ा हो गयी | जब गाँव की पत्नी को गाना गाने की अनुमति तो पति दे देता है
पर उसे अपने से ज्यादा सफल नहीं देख पाता है |
ऐसे ही एक किस्सा गौतम और
राधा का है | गौतम ने राधा के कैरियर को
बनाने में अपना प्रमोशन नहीं लिया | राधा तरक्की की सीढियां चढती गयी , और गौतम वहीँ का वहीँ रह गया | शुरू में
तो कोई फर्क नहीं आया पर धीरे –धीरे समाज दोनों को भिन्न होने का अहसास कराने लगा
| समय के साथ राधा को अपनी सहेलियों से पति का परिचय करना शर्मनाक लगने लगा | वह उसे दूसरा जॉब करने की सलाह देने लगी | गौतम
अपनी पत्नी के इन तानों से टूट सा गया और अकेला गुमसुम रहने लगा |
ये दो तो मात्र उदाहरण हैं |
अक्सर प्रेम विवाह या सफल अरेंज्ड विवाह समय के साथ दरकने लगते हैं | यहाँ यह
सोचना बहुत जरूरी है कि आखिर ऐसा क्यों होता है कि प्यार भरे रिश्ते टूट जाते हैं
? सोचने वाली बात यह है कि पति –पत्नी जीवन बगिया के दो वृक्ष हैं जो साथ –साथ
लागाये जाते हैं | अब मान लीजिए आपने अपने
बगीचे में एक नारियल और एक आम का पेड़ लगाया, जब वे छोटे पौधे थे, उनकी ऊंचाई बराबर थी। तब लगता है कि कि उनमें अच्छी निभेगी, आपस
में खूब प्रेम होगा! अगर दोनों नहीं बढ़ते तो वे हमेशा एक बराबर ही रहते। लेकिन
अगर दोनों अपनी पूरी क्षमता में बढ़ेंगे, तो वे अलग-अलग
ऊंचाई, आकार और संभावनाओं में विकसित होंगे।
अगर आप भी अपने साथी
में समानता ढूंढ रहे हैं, या वही पूराना समय ढूढ़ रहे हैं ,तो वह रिश्ता हमेशा टूट जाएगा। आखिरकार स्त्री –पुरुष
साथ इसीलिए साथ आते हैं क्योंकि वे
अलग हैं। यह फर्क ही उनको साथ ले कर आया है और जैसे-जैसे समय आगे बढेगा , यह फर्क अधिक स्पष्टता से उभर कर सामने आ सकता है। अगर दोनों इस अंतर का
आनंद लेते हुए आगे बढ़ना नहीं सीखेंगे, तो स्वाभाविक रूप से
रिश्ते में दूरी आएगी। अगर दोनों या कोई एक यह उम्मीद करता है कि दोनों एक ही दिशा में और एक ही तरीके से बढ़ें
तो, यह दोनों के साथ ही नाइंसाफी होगी। इससे दोनों की
ज़िंदगी ना केवल सिमट जाएगी, बल्कि उनका दम घुटता रहेगा। बेमानी
हो चुका यह रिश्ता कितने दिनों बाद टूटता है या यूं कहें कि दोनों के बीच दूरी
कितने वक्त में बढ़ती है- बरसों में, महीनों में या दिनों में,
यह सिर्फ इस बात पर निर्भर है कि वो कितनी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
प्रेम विवाह में ज्यादातर दोनों
भिन्न होते हैं | यह भिन्नता ही उन्हें आकर्षित करती हैं | पर विवाह करने के बाद
दोनों एक दूसरे को बदल कर अपने जैसा बनाने की कोशिशों में लग जाते हैं | जो कलह का
कारण बनता है | यह उम्मीद करना कि जो
व्यक्ति आपका साथी बना है, वह बिल्कुल आपकी तरह हो,या हर बात आप के मन मुताबिक़
करे तो यह बात किसी रिश्ते को बरबाद करने
के लिए काफी है। यह बगीचे को निश्चित रूप से नष्ट कर देगा। अपने और अपने साथी के
बीच की भिन्नताओं को स्वीकार करें, दूसरे को विकसित होने दें और उसका आनंद उठाएं। वरना ऐसी
स्थिति उत्पन्न हो जाएगी कि एक व्यक्ति पूरी तरह दूसरे के ऊपर निर्भर होने के लिए
बाध्य होगा |
कई बार पति –पत्नी में से
किसी एक की या दोनों की ये शिकायत रहती है कि अब सब कुछ पहले जैसा नहीं रह गया |
यह सच है कि पति –पत्नी के रिश्ते का
मुख्य आधार यह है कि उन् को अपनी बुनियादी जरूरत पूरी करनी है| जिसे हम सामान्यतया शारीरिक , मानसिक , भावनात्मक जररूतों के वर्ग
में रखते हैं । जैसे-जैसे दोनों जीवन पथ पर आगे बढ़ते हैं और परिपक्व होते जाते हैं, ये जरूरतें बदल जाती हैं।या
यूँ कहे कि प्रतिशत बदलता जाता है जब ये जरूरतें बदल जाती हैं, तो दो लोगों के बीच जो बात कभी सबसे महत्वपूर्ण लगती थी , कुछ समय बाद वह बिलकुल वैसी ही नहीं लगेगी । जो जरूरतें लोगों को साथ लाती
हैं, जरूरी नहीं है कि हमेशा वही रिश्ते की बुनियाद बनी रहे।
जैसे जैसे समय बीतता है और व्यक्ति की उम्र बढ़ती है और वह अलग-अलग रूपों में
परिपक्व होता है। रिश्ते को हमेशा के लिए उन्हीं जरूरतों पर आधारित मानने की
आवश्यकता नहीं है और ना ही यह सोचने की आवश्यकता है कि रिश्ता अब खत्म हो गया। बस रिश्ते का आधार बदलने की जरूरत होती है। अगर यह
बदलाव नहीं किया गया, तो दूरी बढ़ना या रिश्ता टूटना निश्चित
हो जाएगा।यहाँ थोड़ी सी समझदारी की जरूरत होती है | लेकिन अगर प्रेम का आधार मौजूद है तो रिश्ते को उसी
अनुरूप पुन : विकसित कर सकते हैं।
धन्यवाद
जवाब देंहटाएं