सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश के अनुसार अब सिनेमा घरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजेगा | जिसमें सबको खड़ा होना पड़ेगा | अपने देश के झंडे व् राष्ट्र गान के प्रति भला किसे गर्व नहीं होगा | उस दृष्टि से सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला बहुत अच्छा प्रतीत होता है की लोग सिनेमाघरों में फिल्म देखने से पहले खड़े हो कर अपने राष्ट के प्रति सम्मान व्यक्त करें | लम्बे समय से राष्ट्रगान के सम्मान और अपमान पर विवाद चल रहा था | जिस पर अब विराम लग गया है | विवाद के मूल तत्व में यह था की इसमें अपमान होने की भी सम्भावना है | परन्तु सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा आदेश के अनुसार क्योंकि यह संवैधानिक और देश भक्ति से जुड़ा मामला है | इसलिए देश के नागरिकों को अपने देश व् राष्ट्र गान के प्रति सम्मान की भावना को समझना होगा |ये भी सही है की राष्ट्र गान के सम्मान में खड़ा होना या न होना हमारी मर्जी पर निर्भर नहीं करता | ये हमारा उस देश के प्रति कर्तव्य भी है जहाँ हमारा जन्म हुआ और जिसकी मिटटी में हम बड़े हुए | उस लिहाज़ से यह एक प्रशंसनीय आदेश है |
दुनिया के कई देशों में राष्ट्र गान बजने की परंपरा है | हमारे देश में भी आज़ादी के बाद फिल्म समाप्त होने पर राष्ट्र गान बजाय जाता था | पर उस समय ज्यादातर लोगों में फिल्म समाप्त होने के बाद घर भागने की जल्दी होती थी |अत : कुछ लोग बैठे रहते कुछ श्रद्धा से खड़े होते और कुछ हॉल के बाहर निकलना शुरू कर देते | इससे ये महसूस किया गया की राष्ट्र गान का सम्मान की जगह अपमान ज्यादा हो रहा है | इस कारण इसे बंद कर दिया गया | परन्तु अब ये निर्णय फिर से लाया गया है तो अवश्य सुप्रीम कोर्ट ने सोंचा होगा की अब परिस्तिथियाँ बदल गयी हैं | या अब नागरिक अपने देश के प्रति ज्यादा सम्मान के भाव से भर गए हैं ? हालांकि यह सही है की राष्ट्र गान फिल्म शुरू होने से पहले बजाय जाएगा | जिससे लोग आसानी से४ अपने देश के प्रति श्रद्धा प्रगट कर पाएंगे | हमारी स्वतंत्रता हमारे देश की संप्रभुता के कारण है | इस कारण किसी भी व्यक्ति को इससे ऐतराज नहीं होना चाहिए |
इस अच्छे निर्णय का स्वागत करते हुए भी मेरे मन में कुछ प्रश्न हैं | जब भी लाल किले पर प्रधान मंत्री तिरंगा फहराते हैं , किसी खेल व् शिक्षा , फिल्म या अन्य प्रतियोगिता में हमारा देश जीतता है तो हमारा मन गर्व से भर जाता है | और घरों में अपने टी वी के सामने बैठे हुए होने पर भी जब राष्ट्र गान बजता है हम देश के सम्मान में स्वत : ही खड़े हो जाते हैं | उस समय देश प्रेम का जो जज्बा होता है , क्या वही फिल्म देखने जाने के समय भी होगा ? हमारे देश में अलग -अलग भाव , मूड ,टेस्ट व् ग्रेड की फिल्में बनती है | क्या उनको देखने गए हर व्यक्ति में राष्ट्रगान बजते समय देश के प्रति वही गर्व व् सम्मान का भाव आएगा |या ये भाव हीन कवायद ही रह जायेगी |राष्ट्रगान के प्रति सम्मान , सावधान की मुद्रा में खड़े होने की कोई फिजिकल एक्सरसाइज नहीं है | ये वो अनुभूति जो हमें अपने देश पर गर्व कराती है | क्या फिल्म देखते समय वो अनुभूति हो सकती है ? बेहतर होता अगर यह आदेश स्कूलों या कार्यालयों के लिए आता | विद्ध्यार्थी पढ़ लिख कर देश का नाम ऊँचा करने का सपना लेकर विद्द्यालय जाते हैं तब उनके मन में शिक्षा के परती देश के प्रति असीम सम्मान होता है | जो राष्ट्र गान के सम्मान में खड़े होने से देशभक्ति के रंगों में रंग कर और भी प्रभावशाली हो जाता है | वैसे ही हमारा कार्य हमारी पूजा है | जब हम कोई भी काम करते हैं तो न सिर्फ धन अर्जन करते हैं अपितु अपने देश के विकास में योगदान भी देते हैं | अत : कार्यालयों में भी काम की शुरुआत के समय अपने काम और देश पर गर्व की भावनाओं के साथ राष्ट्रगान हमारे अंदर देशभक्ति का और भी जज्बा भर देता |
ये मेरे सुझाव भर हैं | फिर भी अगर सुप्रीम कोर्ट को लगता है की सिनेमा हॉल राष्ट्र गान बजाने के लिए सबसे उपयुक्त जगह है और देश पर गर्व करने का सबसे उचित स्थान तो मैं ये आशा करती हूँ की ये बात अक्षरश : सही साबित हो | ब्देश के हर नागरिक में राष्ट्र क प्रति आदर व् सम्मान का भाव उभरे | भारत के हर सामान्य नागरिक की तरह मैं सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का सम्मान करती हूँ | मुझे अपने राष्ट्रगान , राष्ट्र ध्वज व् राष्ट्र पर गर्व है |
जय हिन्द
वंदना बाजपेयी
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