शनिवार, 7 जनवरी 2017

"लिपस्टिक "



मुझे लिपिस्टिक लगाना पसंद नहीं है। जब तक खास जरूरत न हो मैं इससे दूर ही रहती हूँ।,और "किट्टी पार्टी "आदी के लिए तो मेरे पास बिलकुल भी समय नहीं रहता है। पर उस दिन पड़ोस वाली सुलेखा जी पीछे ही पड़ गयी .......शांता जी के यहाँ "किट्टी पार्टी " है ,तुम्हे चलना ही पड़ेगा ……… और हां लिपस्टिक जरूर लगा लेना। दरसल उनके अनुसार मुझ जैसे अनाडी को कुछ "सामाजिक शिष्टाचार "सिखाना बहुत जरूरी था। मैं श्रृंगार मेज के सामने कुछ देर तक लिपस्टिक लिए खड़ी रही ,लगाऊँ या न लगाऊँ की कश्मकश में मेरे सरल मन ने सुन्दर दिखने की चाह के ऊपर विजय पायी।

शांता जी के यहाँ एक बड़े से कमरे में बहुत सी महिलायें बैठी थी। अति उत्साह के कारण सुलेखा जी ने दरवाजे से ही मेरा सबसे परिचय करना शरू कर दिया। वो देखो … सबसे डार्क पर्पल लिपस्टिक लगाये हुए है …… वही जो सबसे तेज हँस रही है ,श्रीमती देसाई है उनके अपने ही सगे भाई ने प्रॉपर्टी के चक्कर में इनके पति कि हत्या कर दी थी। और वो जो टूनी रेड लिपस्टिक लगाये है……श्रीमती आहूजा हैं ....... उनका पति इनके साथ नहीं रहता बंगलोर में रहता है किसी और के साथ। वो ब्राउन लिपस्टिक लगाये हैं……श्रीमती मिश्रा ,इनका बेटा तो जब तब इन पर हाथ उठा देता हैं। वो कॉफ़ी लिपस्टिक .......वो मेजेंटा....... वो पिंक …… सुलेखा जी बताती जा रही थी।
मुझे पसीना आने लगा। मैं हर चेहरे को गौर से देख रही थी। अचानक मुझे लगने लगा।हंसती -मुस्कुराती दिखती इन महिलायों ने अपने होंठों पर लिपस्टिक नहीं लगा रखी है बल्कि पहरेदार बिठा रखे है जो रोक देते है रिसने से उनके दर्द और कसक को,और बनी रहती है उनके पिता की ,पति की ,भाई की ,बेटों की ,और घर की झूठी शान……… 

वंदना बाजपेयी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें