शनिवार, 20 दिसंबर 2014

अब मॉफ भी कर दो

               

स्वीकारती हूँ 
सींच रही थी मैं 
अंदर ही अंदर 
एक वट वृक्ष 
क्रोध का 
कि चुभने लगे थे कांटे 
रक्तरंजित  थे पाँव  
कि हो गया था असंभव चलना 
नहीं ! अब और नहीं 
अब बस .............
आज से, अभी से  
मैं क्षमा करती हूँ उन्हें 
जिन्होंने मुझे आहत किया 

मैं क्षमा करती हूँ उन्हें 
जिन्होंने मेरा पथ रोक लिया 
पर उससे पहले मैं 
क्षमा करती हूँ 
अपने आप को 
तमाम अपराध बोधों से 
कि ऐसा वैसा किया होता 
तो कुछ और होता जीवन 
या ……… 
ये ,वो राह पकड़ी होती 
तो कुछ और दिखाता दर्पण 
हां ! अब मैं 
सहज ,सरल हूँ 
उतर गया है टनो बोझ क्रोध का 
मिट  गयी हैं कालिख 
मन दर्पण की 
अब 
दिख रहा है भविष्य पथ 
उजला सा
दूर तक  
नए हौसलों के साथ 
अब बढ़ाउंगी कदम .......... 
                                            क्या आपने कभी सोचा है की हँसते -बोलते ,खाते -पीते भी हमें महसूस होता है टनो बोझ अपने सर पर। एक विचित्र सी पीड़ा जूझते  रहते हैं हम… हर वक्त हर जगह। एक अजीब सी बैचैनी। ………… किसी अपने के दुर्व्यवहार की ,या कभी किसी अपने गलत निर्णय की हमें सदा घेरे रहती है। प्रश्न उठता है आखिर क्या है इससे निकलने का उपाय ?



ऐ  विधाता ऐ खुदा हमें मॉफ कर,हमें मॉफ कर  
हमें क्या पता कहाँ जा रहे क्या है रास्ता

हमें मॉफ कर ,हमें मॉफ कर ………… 

                                       आज भी किसी फिल्म का यह गीत मेरा ध्यान बरबस अपनी ओर खीच लेता है। हम हर रोज ईश्वर से हाथ जोड़ कर मॉफी मांगते हैं और उम्मीद करते हैं कि उन्होंने हमें मॉफ कर दिया है। इसके बाद हम हल्का महसूस करते हैं।
                                        परन्तु यह बात केवल ईश्वर से हमें क्षमा मिल जाने तक सीमित नहीं है बहुत जरूरी है कि हम अपने को मॉफ करना सीखें। मेरे आपके समाज के और देश के आपसी रिश्तों को तरोताज़ा रखने के लिए यह बहुत जरूरी है कि हम अतीत की गलतियों को भूल कर ,उन गलतियों को मॉफ कर आगे बढे। अतीत चाहे रिश्तों की कड़वाहट से भरा हो चाहे अपने प्रति नाराज़गी भरी हो। कोई ऐसा कदम जो नहीं उठाया या कोई ऐसा कदम जो उठा लिया उन सब को सोच -सोच कर हम अपना वर्तमान खराब करते रहते हैं।
सीखे मॉफ करना :-
                           कड़वाहट भूलने के लिए सबसे जरूरी है मॉफ करना। कभी -कभी हम किसी बात को पकडे हुए न सिर्फ रिश्तों का मजा खो देते हैं बल्कि अंदर ही अंदर स्वयं भी किसी आग में जलते रहते हैं।
                                                     मेरी एक परिचित हैं उनके यहाँ पिता -पुत्र में झगड़ा हो गया ,गुस्से में बेटा अपनी पत्नी को लेकर घर छोड़ कर चला गया। पिता दिल के मरीज थे ,बर्दाश्त नहीं कर सके उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मृत्यु हो गयी। एक अकेली मध्यमवर्गीय स्त्री पर अपनी ५ अनब्याही कन्याओं के विवाह की जिम्मेदारी आ गयी। उन्होंने बहुत हिम्मत के साथ एक -एक करके ४ लड़कियों का विवाह किया। उनका बेटा बार -बार मॉफी मांगने आता माँ का दिल पसीजता पर एक पत्नी अपने बेटे को ही अपने पति का हत्यारा समझती रही ,और अपने ही बेटे के प्रति भयंकर कड़वाहट से भरी रही। इस तीस ,इस पीड़ा से वो मुक्त नहीं हो पा रही थी। अंततः उन्होंने अपने बेटे को मॉफ करने का फैसला किया। बेटे ने अपनी बहन की शादी करायी। और अब श्रीमती उपाध्याय (परिवर्तित नाम )अपने बेटे -बहु , पोते -पोतियों के साथ वृद्धावस्था का आनंद उठा रही हैं। पूछने पर कहती हैं "काश मैंने अपने बेटे को पहले ही मॉफ कर दिया होता तो आज इतनी बीमारियों से न घिरी होती।
           
क्या कहते हैं मनोवैज्ञानिक ;-
                              मनोवैज्ञानिक सुधा अग्रवाल कहती हैं कि अगर कोई मनुष्य अपने अंदर क्रोध ,नफरत की भावना ज्यादा लम्बे समय तक पनपने देता है तो उसे तमाम तरह की बीमारियां घेर लेती हैं जैसे हाई ब्लड प्रेशर ,हाइपर टेंशन ,डिप्रेशन आदि। अपने गुस्से पर काबू रखने की कोशिश में व्यक्ति ईष्यालु ,झगडालू और क्रोधी हो जाता है। ऐसी सोच वाला व्यक्ति अपने जीवन में ज्यादा आगे नहीं जा सकता है।
मनोवैज्ञानिक डॉ अतुल नागर कहते हैं ,अगर हम हर छोटी -छोटी बात पर लोगों से किनारा करते रहे तो कुछ समय बाद हम अपने में सिमट जायेंगे और हमारे सरे रिश्ते ख़त्म हो जायेंगे। पर्सनाल्टी एवं साइकोलॉजिकल रिव्यू के अनुसार मॉफ करने की आदत हमारे जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाती है
रिश्ते बहुत कीमती हैं :-
                                                 हम छोटा सा जीवन ले कर आये हैं। हमें अपने रिश्तों की कद्र  करनी चाहिए।  रिश्तों में आपसी प्रेम और ताल-मेल न सिर्फ हमें भावनात्मक मजबूती प्रदान करता है बल्कि हमारे विकास के मार्ग को भी प्रशस्त करता है। मनुष्य एक सामजिक प्राणी हैं और एक सुखद जीवन जीने के लिए उसे रिश्तों की आवश्यकता है। जरा -जरा सी बात पर रिश्ते तोड़ने से हम अलग -थलग पड़  जाएंगे। रिश्तों को बनाने में बहुत म्हणत पड़ती है उन्हें तोडा नहीं जा सकता ,वैसे भी जितने लोग हमारे साथ जुड़े होते हैं हमारा मनोबल उतना ही ऊंचा होता है।
                      "जिंदगी के कैनवास पर जितने रंग होंगे ,तस्वीर उतनी ही सुन्दर बनेगी "
                                                इसका मतलब यह नहीं कि हम हर किसी के बुरे व्यवहार को सहन करते जाए। हमें दूसरों के गलत व्यवहार के बारे में उसी समय टोकना  चाहिए। रिश्तों में पारदर्शिता आवश्यक है। अगर हमें पता चले कि किसी ने हमारे साथ धोखा किया है तो हमे उस व्यक्ति से कुछ समय की दूरी बना लेनी चाहिए। अगर रिश्ता सच्चा है तो जरूर उस व्यक्ति को पछतावा होगा … और वो पुनः हमरे पास लौट कर आएगा। इस दौरान हमें उस व्यक्ति बुराई हर किसी से नहीं करनी चाहिए ,अन्यथा गाँठ मजबूत हो जाती है। अगर वह व्यक्ति वापस लौट कर नहीं आता तो हमें स्वयं को उस बेवजह के रिश्ते को ढोने  से अलग होना पड़ेगा। अगर भूलने या मॉफ कर के आगे बढ़ने की क्षमता है तो समय सब घाव भर देता है।
मॉफ करे अपने लिए :-
                                               याद रखिये मॉफ आप दूसरे के लिए नहीं वरन अपने लिए कर रहे हैं। जैन धर्म में एक क्षमा पर्व है जिसमे हम अपने हर परिचित से जाने अनजाने किये गए खराब व्यवहार के लिए क्षमा मांगते हैं। मन जाता हैं इससे दोनों की आत्मा शुद्ध  हो जाती है।"मन के कोरे कागज़ पर अगर बहुत कुछ लिखा हुआ है तो नया कहाँ लिखोगे  " अपने विकास के लिए जरूरी है मन के कोरे कागज़ को साफ़ रखना। तभी उस पर आगे विकास की इबारत लिखी जा सकती है।
मॉफ करे बिना भूलना संभव नहीं :- 
                                                                      आप को याद है ,की कभी आप के दांत में तेज दर्द हुआ हो। आज जब आप उस के बारे में बात करते हैं तो वोसारा दृश्य सामने जरूर आता है कि कैसे दांत में दर्द हुआ ,कैसे डॉक्टर के पास गए ,कैसे दर्द में रात भर जगे परन्तु वो पीड़ा अनुभव नहीं होती। हम अपने प्रति किये गए किसी के दुर्व्यवहार को याद करते समय अगर दोबारा उस पीड़ा से नहीं गुजरते है तो इसका मतलब है की वास्तव में हम उस घटना से बाहर निकल आये हैंया हम उसे भूल गए हैं। परन्तु ह्रदय से मॉफ करे बिना ऐसा संभव नहीं है। स्वयं को पीड़ा से निकालने के लिए भी मॉफ करना जरूरी है।
मॉफ करने के तरीके :- 
                                              किसी को मॉफ करना आसान तो नहीं फिर भी   मॉफ करने के कुछ उपाय हैं …………


१)किसी के बुरे व्यवहार को ध्यान में रखने की जगह मन को किसी सकारात्मक काम में लगाया जाए
२)अगर कोई करीबी रिश्ता है  तो खुल कर अपनी बात कहें
३ )किसी तीसरे व्यक्ति से इसकी चर्चा न करे
४)अगर तकलीफ ज्यादा पहुंची हो तो कुछ समय के लिए उस व्यक्ति से दूरी बना लें
५)हर रोज स्वयं से कहे कि मैं अमुक व्यक्ति को मॉफ करता हूँ ,और धीरे ,धीरे खुद को हल्का महसूस करे
                                                             अंत में यही कहना चाहती हूँ .......... क्यों न उतार कर फेंक दे अपने सर से - उसकीसबकी बातों की बोझ के गठरी .... और खुल के जिए ………… छोटा सा जीवन है और बहुत से आम करने हैं अपने लिए ,अपनों के लिए और देश के लिए...............तो चलो अब भूल जाओ और मॉफ भी कर दो ना . ……


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