शनिवार, 14 मई 2016

ये ख़ुशी आखिर छिपी है कहाँ

 

हम से रूठी रहोगी
कब तक न हंसोगी
देखोजी किरण सी लहराई
आई रे आई रे हंसी आई
आज पुरानी फिल्म का ये गाना याद आ रहा है….. गाने की शुरुआत में गुड़ियाँ रूठी होती है पर अंत तक खुश हो कर हंसने लगती है …आखिर कोई कितनी देर नाराज या दुखी रह सकता है दरसल खुश रहना मनुष्य का जन्मजात स्वाभाव होता है . आखिर एक छोटा बच्चा अक्सर खुश क्यों रहता है ? बिलकुल अपने में मस्त ,बस भूख ,प्यास के लिए थोडा रोया ,कुंकुनाया फिर हँसने खेलने में मगन। क्यों हम कहते हैं कि “बचपन के दिन भी क्या दिन थे “…बचपन राजमहल में बीते या झोपड़े में वो इंसान की जिंदगी का सबसे खूबसूरत हिस्सा होता है। खुश रहना मनुष्य का जन्मगत स्वाभाव होता है जैसे -जैसे हम बड़े होते हैं हमारा समाज ,हमारा ,वातावरण हमारे अन्दर विकृतियाँ बढाने लगता हैं ,और हम अपनी सदा खुश रहने की आदत भूल जाते हैं और तो और हममे से कई सदा दुखी रहने का रोग पाल लेते हैं ,जीवन बस काटने के लिए जिया जाने लगता है.पर कुछ लोग अपनी प्राकृतिक विरासत बचाए रखते हैं और सदा खुश रहते हैं.… प्रश्न उठता है क्या उनको
विधाता ने अलग मिटटी से बनाया है ,या पिछले जन्म के कर्मों की वजह से उनके जीवन में कोई दुःख आया ही नहीं है। उत्तर आसन है … नहीं , औरों की तरह उनके जीवन में भी दुःख-सुख का आना जाना लगा रहता है , पर आम तौर पर ऐसे व्यक्ति व्यर्थ की चिंता में नहीं पड़ते और अक्सर हँसते -मुस्कुराते और खुश रहते हैं .
तो सवाल ये उठता है कि जब ये लोग खुश रह सकते हैं तो बाकी सब क्यों नहीं ?आखिर उनकी ऐसी कौन सी आदतें हैं जो उन्हें दुनिया भर की चिंताओं से मुक्त रखती है और दुःख -दर्द के बीच भी खुशहाल बनाये रखती हैं ? आज इस लेख के जरिये मैं आपके साथ खुशहाल लोगों की कुछ आदतें बताने जा रही हूँ जो शायद आपको भी खुश रहने में मदद करें .तो आइये जानते हैं उन ख़ास आदतों को :
जो है सब अच्छा है :-
बड़ी मामूली सी बात है पर है बहुत उपयोगी हम अक्सर अपने आस -पास के लोगों की बुराइयां खोजते हैं। हमने तो इतना किया था पर उसने तो मेरे साथ ये तक नहीं किया , हमने तो उसके सरे अपशब्द बर्दाश्त कर लिए पर वो तो एक बात में ही बुरा मान कर चला गया आदि -आदि मनोवैज्ञानिक इसे “नकारात्मक पूर्वधारणा “भी कटे हैं . अधिकतर लोग दूसरों में जो कमी होती है उसे जल्दी देख लेते हैं और अच्छाई की तरफ उतना ध्यान नहीं देते पर खुश रहने वाले तो हर एक चीज में , हर एक परिस्तिथि में अच्छाई खोजते हैं , वो ये मानते हैं कि जो होता है अच्छा होता है . किसी भी व्यक्ति में अच्छाई देखना बहुत आसान है ,बस आपको खुद से एक प्रश्न करना है , कि , “ आखिर क्यों यह व्यक्ति अच्छा है ?” , और यकीन जानिये आपका मस्तिष्क आपको ऐसी कई अनुभव और बातें गिना देगा की आप उस व्यक्ति में अच्छाई दिखने लगेगी .यहाँ पर ध्यान देने की ब बात यह है कि , आपको अच्छाई सिर्फ लोगों में ही नहीं खोजनी है , बल्कि हर एक परिस्तिथि में खोजनी है और सकारात्मक रहना है और उसमे क्या अच्छा है ये देखना है .… सुप्रसिद्ध कवि हरिवंश राय बच्चन का अपने पुत्र अमिताभ बच्चन को समझाने का एक बहुत विख्यात वाक्य है ….अगर मन की हो रही है तो खुश रहो ,और अगर मन की न हो रही हो तो और खुश रहो क्योंकि वह ईश्वर के मन की हो रही है ,ईश्वर अपने बच्चों के साथ कभी अन्याय नहीं करता। उदाहरण के तौर पर अगर आप को कोई नौकरी या सफलता नहीं मिली तो आपको ये सोचना चाहिए कि शायद भागवान ने आपके लिए उससे भी अच्छी नौकरी या सफलता छुपा कर रखी है जो आपको देर-सबेर मिलेगी, और आप किसी अनुभवी व्यक्ति से पूछ भी सकते हैं, वो भी आपको यही बताएगा .
कही -सुनी सब मॉफ करे :-
हम सब अपने सर पर कितना बड़ा पिटारा लिए घूम रहे हैं … लोगों की कही -सुनी बातों का हर रोज़ पिटारा खोलते हैं ,उन बातों को निकालते हैं,सहलाते हैं और फिर पिटारा बंद कर देते हैं और उस पिटारे में बंद कर देते हैं अपनी खुशियाँ …. है न सही !सच तो यह है कि हर किसी का अपना -अपना अहंकार होता है , जो जाने -अनजाने औरों द्वारा घायल हो सकता है . पर खुश रहने वाले छोटी छोटी बातों को दिल से नहीं लगाते वो माफ़ करना जानते हैं , सिर्फ दूसरों को नहीं बल्कि खुद को भी .और इसके उलट यदि ऐसे लोगों से कोई गलती हो जाती है , तो वो माफ़ी मांगने से भी नहीं कतराते . वो जानते हैं कि मिथ्याभिमान उनकी जिंदगी की परेशानियां बढ़ा देगा बन इसलिए वो अरे मॉफ कर दीजिये या सॉरी बोलने में कभी कतराते नहीं . माफ़ करना और माफ़ी माँगना आपके दिमाग को हल्का रखता है , आपको बेकार की उलझन और परेशान करने वाली tनकारात्मक विचारों से से बचाता है , और आप खुश रहते हैं .
तुम मेरे साथ हो :-
अकेला हूँ मैं इस दुनियाँ में ,साथी है तो मेरा साया ……ये गाना सुनने में जितना अच्छा लगता है भोगने में उतना ही भयावह।अगर हम हर समय अपने को तन्हाँ महसूस करेंगे तो हर आने वाली विपरीत परिस्तिथि से जरूरत से जयादा घबरा जायेंगे या फिर विपरीत परिस्तिथियों की कल्पना करके अपने को अकेला और दुखी महसूस करेंगे। इससे निकलने का एक ही तरीका है अपना एक संवेदनात्मक आधार बनाए। यह आधार दो खम्बों पर टिका होता है … हमारे मित्र और हमारा परिवार …. ज़िन्दगी में खुश रहने के लिए इस आधार का बहुत बड़ा योगदान होता है . भले आपके पास दुनिया भर की दौलत हो , शोहरत हो लेकिन अगर सवेद्नात्मक मजबूत आधार नहीं है तो आप ज्यादा समय तक खुश नहीं रह पायेंगे ….. ये वो लोग हो जिन्हें आप रात के तीन बजे भी किसी मुसीबत के समय फ़ोन कर के बुला सकते हैं या अपने दिल की हर सही -गलत ,अच्छी -बुरी बात बेझिझक कह सके
इसके लिए ध्यान रखने की बात है कि हमें अपने मित्रों और परिवार को हलके में नहीं लेना चाहिए , एक मजबूत रिश्ता बनाने के लिए हमें अपने हितों से ऊपर उठ कर देखना होता है . , दूसरे की देखभाल करनी होती है , और उन्हें दिल से पसंद करना होता है . जितना हो सके अपने रिश्तों को बेहतर बनाएं , छोटी -छोटी चीजें जैसे कि जन्मदिन की मुबारकबाद देना , सफलता की बधाई देना , सच्ची प्रशंशा करना , मुस्कुराते हुए मिलना , गर्मजोशी से हाथ मिलाना , गले लगना आपके संबंधों को प्रगाढ़ बनता है . और जब आप ऐसा करते हैं तो बदले में आपको भी वही मिलता है। याद रखिये भले ही दिल में कितना प्यार हो पर उसे अभिव्यक्त करना भी जरूरी है। मान कर चलिए अगला भगवन नहीं है जो आप के दिल की बात खुद बी खुद जान ले। एक दूसरे को ख़ुशी देने का सिधांत दूसरों और आपकी ज़िन्दगी को खुशहाल बनाता है .
काम वही जो मन को भाये :-
पापा ने कहा था इंजिनियर बन जाओ अब मशीनों को देख कर डर लगता है फिजिक्स में तो पास होना ही मुश्किल है। दादी की ईक्षा थी पोती डॉक्टर बने ,पढने में अच्छी थी बन तो गयी ,पर अब रोज़ ,रोज़ वही मरीज वही क्लिनिक देखकर बोरियत होती हैऔर दवाइयों की महक से तो मुझे उलटी आती है। दादी तो अपनी ईक्षा पूरी कर के खुश हैं पर मेरे लिए तो जिंदगी गले में फंसी हड्डी हो गयी जो निगलते बनती है न उगलते . … दुनिया में कितने लोग हैं जो अपने काम से खुश हैं ? यदि आप अपने i अपने मन का काम करते हैं तो जरूर आप खुश होंगे , लेकिन ज्यादातर लोग इतने भाग्यशाली नहीं होते , उन्हें ऐसे काम को करना पड़ता है जो उनके रूचि के हिसाब से नहीं होता . कुछ प्रतिशत यह सच है खुश रहने वाले लोग जो काम करते हैं उसी में अपना मन लगा लेते हैं , भले ही साथ -साथ वो अपना पसंदीदा काम पाने का प्रयास करते रहे .चौबीसों घंटे अपने काम अपनी कंपनी की बुराई करना आप की जिंदगी को कठिन व् दुखद बना देता है.यह सच है कि बेमन से करे गए काम को अच्छा समझना सबके लिए आसान नहीं होता। अत :अपने कैरियर का चुनाव करते समय सतर्क रहे … आपका काम आप का दूसरा जीवन साथी होता है ,मन का न हो तो जिंदगी बोरिंग हो जाती है. … कैरियर के चुनाव के समय सबकी राय अवश्य सुने पर करे वही जिसमें आप का मन रमता हो तभी सच में आप खुश रह सकते हैं।
जब सोंचो अच्छा सोचो
विज्ञान कहता है हमरे दिमाग में हर रोज़ 60,000 विचार आते है ,इसमें से जिन विचारों की प्रधानता होती है वही हमारा स्वाभाव होता है और एक आम आदमी के मन में इनमे से अधिकतर नकारात्मक होते हैं . अगर आप रोज़ -रोज़ अपने दिमाग को हज़ारों नकारात्मक विचारों से भरते रहेंगे ,या एक तरह से नकारात्मक विचारों की खेती करने लगेंगे तो, नकारात्मक विचार हमारी आदत बन जाएगे ,जो और नकारात्मक विचारों ,परिस्तिथियों को अपनी तरफ खेंचेंगे और निराशा में अपने विचारों पर यकीन गहरा होने लगेगा ,और लगने लगेगा जो हम सोचते हैं वो हो जाता है ये हमारा दुर्भाग्य है ऐसे में तो खुश रहना तो मुश्किल होगा ही . इसलिए खुश रहने वाले व्यक्ति दिमाग में आ रहे बुरे विचारों को अधिक देर तक पनपने नहीं देते . वो ” शक के आधार पर बरी करना जानते हैं “देना जानते हैं , वो जानते हैं कि हो सकता है जो वो सोच रहे हैं वो गलत हो , जिसे वो बुरा समझ रहे हैं वो अच्छा हो . ऐसा कह कर के मन शांत कर लेते हैं , दरअसल हमारी सोच के हिसाब से हमारे मष्तिष्क में ऐसे खास किस्म के रसायन निकलते हैं जो हमारे मूड को खुश या दुखी करते।तो जब भी नकारात्मक विचार आये उसे सकारात्मक विचार से धीरे से हटा दे या कम से कम ये सोचे की जरूरी नहीं की ऐसा हो ही ,जिससे मन में वो नकारात्मक विचार गहरे न उतरे।
अपने लिए जिए तो क्या जिए ;-
एक बार की बात है तीन बच्चे पढ़ रहे थे …. अध्यापिका बारी -बारी से तीनों के पास गयी। उसने पहले बच्चे से पूंछा “तुम क्यों पढ़ रहे हो ?बच्चों ने निम्न उत्तर दिए……
पहला बच्चा :मैडम इम्तहान पास करना है पढना तो पड़ेगा ही।
दूसरा बच्चा :मैडम पढ़ -लिख ले कभी न कभी तो रोटी कमानी ही पड़ेगी। आखिर पिताजी कब तक खिलाएंगे
तीसरा बच्चा :मैडम मुझे वैज्ञानिक बनना है ,नए -नए आविष्कार करने हैं ताकि मानवता की सेवा कर सकू
आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इन तीनों में से कौन सबसे अधिक खुश होगा!तीसरे बच्चे की तरह ही खुश रहने वाले व्यक्ति अपने काम को किसी बड़े उद्देश्य से जोड़ कर देखते हैं , और ऐसा करना वाकई हमें आपार ख़ुशी देता है . ऐसा मैं इसलिए भी कह पा रही हूँ क्योंकि जब मैंने और “अटूट बंधन के पूरे संपादक मंडल ने यह निर्णय लिया की हम “अटूट बंधन” में सकारात्मक सोच और व्यक्तित्व विकास को स्थान देंगे जिसके माध्यम से हम हज़ारों ,लाखों लोगों की ज़िन्दगी को बेहतर बना सकते हैं ,उन्हें निराशा से निकाल सकते हैं या कम से कम कुछ देर के लिए अच्छा महसूस करा सकते हैं तो काम के प्रति उत्त्साह बढ़ गया ,एक नेक विचार और बड़े उद्देश्य ने सारी थकान मिटा दी … यहाँ तक की संघर्ष के दिनों में भी संतुष्टि प्रदान की . …. अगर खुश रहना है तो अपने काम को किसी बड़े उद्देश्य से जोडिये।
अपनी हर गलती की जिम्मेदारी मेरी है :-
अक्सर मुझे याद आ जाती है “जब वी मेट ” की नायिका जो एक बार कहती है “हां जिंदगी ! ये मेरा फेवरेट गेम है जिसे मैं अपने तरीके से खेलती हूँ …. ताकि बाद में अफ़सोस न हो कि मेरी जिंदगी इसकी -उसकी वजह से खराब हो गयी। जब भी कुछ बुरा होगा तो मुझे पक्का पता होगा कि ये मेरी वजह से हुआ है। बात भले ही फ़िल्मी है पर है गहरी। …. जब आप अपने आस -पास देखेंगे तो पाएंगे खुश रहने वाले व्यक्ति सही -गलत परिस्तिथियों की जिम्मेदारी लेना जानते हैं . अगर उनके साथ कुछ बुरा होता है तो वो इसका दोषारोपण दूसरों पर नहीं करते , बल्कि खुद को इसके लिए जिम्मेदार मानते हैं .उदहारण के तौर पर वो ऑफिस के किसी काम में देर होने के लिए अपने अधीनस्थ कर्मचारियों पर नहीं झल्लाते अपितु अपने समय प्रबंधन को और दुरुस्त करने का प्रयास करते हैं अपनी सफलता का श्रेय भले ही दूसरों दे दें लेकिन अपनी हर असफलता के लिए स्वयं को जिम्मेदार मानते हैं जान लीजिये … जब आप अपने साथ होने वाली बुरी चीजों के लिए दूसरों को दोष देते हैं तो आपके अन्दर क्रोध आता है , पर जब आप खुद को जिम्मेदार मान लेते हैं तो आप थोडा निराश तो होते हैं पर फिर चीजों को सही करने के प्रयास में जुट जाते हैं . और देर सवेर काम सही भी हो जाता है जो सच्ची ख़ुशी देता है
तो ये थी वो बातें जिन्हें वो लोग अपनाते हैं जो सदा खुश रहते हैं। इनमें से कई बातें आप भी मानते होंगे ,कई नहीं तो प्रयास करिए इन सारी बातों को मानने का …. जिससे जीवन में खुशियों का ईजाफा हो और आप इत्मीनान से कह सके
ये ख़ुशी हमसे बच कर कहाँ जाएगी …

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