रविवार, 22 मार्च 2015

रिया स्पीक्स ... विश्वास








रिया घर के छोटे से मंदिर में बैठ कर मानस पाठ कर रही है।
"मन क्रम वचन चरण अनुरागी
अवगुण कवन नाथ हौं त्यागी "
तभी दादी उस कमरे में कुछ बड़बड़ाते हुए प्रवेश करती हैं :हे !शिव शिव शिव..... का जमाना आ गा है।
रिया :मानस बंद करते हुए क्या हुआ दादी ,इतना अपसेट क्योँ हैं ?
दादी :अब का बताई बिटिया …अभी उ इलाहबाद से हमऱी बहनी का फोन आया रहा। बड़ी दुखी राहे। फोनई पे रोन लागी। अरे उ का पोता सुभाष ……अब लरिका -बहू के बीच लड़ाई झगरा तो हुए करीं ,पर बात इतनी बढ़ जाई इ तौ कोन्हू नही चाहत।
रिया :(आश्चर्य से ) सुभाष भैया और सुधा भाभी के बीच ऐसा क्या हो गया दादी ?भाभी तो वर्किंग है , अच्छा -भला कमाती हैं। घर के काम में भी एक्सपर्ट। फिर ऐसे कैसे इतनी बात बढ़ गयी?

दादी :हे !शिव शिव शिव..... अब का बताई बिटिया कुछु दिन पहिले की बात राहे ,सुधा नौकरी करन गयी राहे। अब वापस आत वकत , उ माँ फंस गयी ……अरे ! उ का कहत हैं जामे उच उच मकानन में उपर -नीचे जात हैं?
रिया :लिफ्ट ,दादी
दादी :हाँ उहे लिफट ,तीन घंटा तक लिफट माँ ही फंसी राहे। उ के साथ दुई -तीन लरिका भी राहे …जरा सी जगह माँ बंद , अब का पता कोहू उच-नीच भई की न भई , पर सुधीर बबुआ बहुतै गुस्से माँ राहे। कहन लाग इ को नौकरी करन की कोनहु जरूरत नाही, नाक कटाई दीन्ह।
रिया :भाभी क्या कहती हैं दादी ?
दादी :उ तो मानत ही नाही हैं ,कहत है नौकरी करिहै , बताई इ कोन्हू जिद है ,भरतार की मर्जी के बिना ?
रिया :सही तो कह रही हैं भाभी , लिफ्ट में फंसना तो किसी के भी साथ हो सकता है। यह महज एक दुर्घटना है ,इसमें भैया को इतना गुस्सा करने की क्या जरूरत है ?अगर ऐसे ही घर के पुरुष बात बिना बात पर अपनी पत्नी पर अंगुली उठाएंगे तो औरते कैसे घर से बहार निकल कर काम करने की हिम्मत करेंगी ? शायद इसी कारण औरते अपने खिलाफ होने वाले अपराधों पर मौन रह जाती हैं ,क्योंकि वो जानती हैं पहली अंगुली उनके घर से उठेगी , और उनकी स्वतंत्रता छीन कर सजा भी उन्हें ही मिलेगी।दादी आप का जमाना गया। .... आधी आबादी को घर में कैद करने पर कोई देश तरक्की नहीं कर सकता।
दादी : हे ! शिव शिव शिव.…पर सुधीर बबुआ, समाज भी तो खुसुर -पुसुर …
रिया :(बात काटते हुए ) दादी ! समाज की तो छोड़ ही दो , पति साथ खड़ा होगा तो कुछ दिन कह कर सब चुप हो जायेंगे। और सोचो दादी …हमेशा से पुरुष नौकरी पर जाते रहें है, पत्नियाँ विश्वास करती रही हैं , अब औरते भी अपना वजूद खोजने निकली हैं तो पतियों को भी विश्वास करना चाहिए। पति -पत्नी का रिश्ता प्यार और विश्वास पर चलता है छोटी -छोटी बात पर कड़े फैसले लेने पर नहीं। मैं आज ही सुधीर भैया से बात करुँगी।
दादी : पर बिटिया भरतार की मर्जी भी तो होन चाही …… का जरूरत राहे कलेश करन की
रिया :दादी ,रिलैक्स !मैं बात कर लूंगी , आप एवेई परेशान हो रही हैं। चलिए आप आराम से fm पर गाने सुनिए , मैं आप के लिए चाय बना कर लती हूँ।
रिया fm ऑन कर चाय बनाने चली गयी। …गाना बज उठता है
" अंगुलियाँ जब जमाने की मुझ पर उठे ,खो न जाना कही ऐसे हालात में ,
रौशनी जिंदगी की मोहब्बत से है ,वर्ना रक्खा है क्या चांदनी रात में.......
कॉपीराइट :वंदना बाजपेयी

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