बूढ़ा आर्किमिडिज़ ...जो अब 80 साल का हो गया है। .... सफ़ेद लम्बी दाढ़ी , झुर्रीदार चेहरा , ठीक से चला नहीं जाता ,पर मन में अभी भी विज्ञानं के लिए , मानव समाज के लिए बहुत कुछ करने की अभिलाषा शेष है अपनी पिछली जिंदगी के बारे में सोंचता जा रहा है । (फर्श पर ज्यामिति की तमाम रचनाएँ चाक से बना रहा है )
उसे अभी भी वो दिन अच्छी तरह से याद है कि किस तरह सैराक्वूज के राजा हायरोन ने उसे एक स्वर्ण मुकुट हकीकत पता लगाने को दिया था .......नकली और असली में भेद कर पाना कितना कठिन था.…। और कैसे उसने नहाते समय इस नियम को खोज लिया था कि कोई वस्तु पानी में डुबोने पर अपने भार के बराबर पानी हटा देती है ।ख़ुशी में वो उसी अवस्था में यूरेका -यूरेका (मैंने पा लिया ,मैंने पा लिया) कहते हुए राजमहल की और दौड़ा था। इसी आधार पर उसने स्वर्ण मुकुट की सच्चाई पता लगाई थी .
फिर .................. फिर उसे कितना सम्मान मिला था ।कितना हौसला बढ़ा था। …
फिर कैसे उसकी यात्रा चल पड़ी विज्ञानं के अन्य अन्वेषणों की ओर ।
फिर कैसे उसकी यात्रा चल पड़ी विज्ञानं के अन्य अन्वेषणों की ओर ।