जब लोग आप को अपने बारे में बताते हैं उन पर विश्वास करो - माया एंजिलो
ईश्वर ने मनुष्य को वाणी का वरदान दिया है | और वाणी ही उसकी अभिव्यक्ति का माध्यम है | और वाणी ही उसे सबसे ज्यादा उलझाती भी है | कोई आपसे बात कर के चला जाता है उसके बाद हर बात की विवेचना शुरू होती है | उसने ऐसा क्यों कहा | उसके पीछे उसका क्या प्रयोजन था | उसकी इस बात में मुझे नीचा दिखाने की साजिश थी | उसकी उस बात में मेरा उपहास करने का भाव था | आदि , आदि | दो लोगों का परस्पर संवाद सौहार्द बढाने के स्थान पर विषाद बढ़ा देता है | जब हम बात करते हैं तो दो ध्रुव बन जाते हैं | एक बोलने वाला एक सुनने वाला | बोलने वाला अपने पूर्व अनुभव से बोल रहा होता है व् सुनने वाला अपने पूर्व अनुभव के आधार पर बात समझने की कोशिश कर रहा होता है | अपने - अपने स्थान पर खड़े होकर हम दूसरे के बारे में धारणाएं बना लेते हैं | पर क्या वो सही बन पाती हैं ?